कहानी की कहानी
जल, जंगल, जीव और लड़की से लगाव है जैसे भोर के होंठ पर थिरकते शबनम की नशा को जज़्ब करना जिंदगी का पहला उसूल हो।
जितने की जिद है हार मेरे शब्दाकोश में नहीं है। बरक में दर्ज हर्फ़ मेरे सिरहाने के सरताज़ हैं। नम मिटटी में कंकड़ की तरह दर्ज़ दर्द की टहनियों को चुनकर नया आशियाँ बनाने की हसरत ताउम्र ताबिन्दा रहेगी क्योंकि स्त्री इतिहास लिखे बगैर दुनिया बीरान है।
डॉ० सुनीता
